*शाहपुर पंचायत मूक दर्शक*
डिंडोरी --- आदिवासी बाहुल्य जिले में अपने रसूख की दम पर बेखौफ मनमानी कर शासकीय भूमि पर कब्जा करने वालों के हौसले परवान चढ़े हुए हैं! ना इन्हे शासन का खौफ है और ना ही प्रशासन का विश्वनीय सूत्रों की माने तो इनके तार सत्ताधारी पार्टी से जुड़े हुए हैं! मतलब ""जब सैयां भये कोतवाल, तो फिर डर काहे का "" ऐसा ही मामला है जनपद पंचायत डिंडोरी अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत शाहपुर का जहाँ लगभग 6 / 7 - महीने पहले घुनसी नदी में विधायक निधि की राशि 20 लाख रूपये की लागत से नदी के दोनों और घाट निर्माण कार्य किया गया था साथ ही नदी के बाजू से लगे नाले पर 5 वें वित्त की राशि से पक्के नाले का निर्माण किया गया था!जिसमें पहले से ही अपनी गिद्ध नजर लगाये रसूखदार ने पक्के नाला सहित घाट पर अवैध कब्जा करते हुये टीन सैड बनाकर अपनी बेल्डिंग एवं लोहा सरिया की दुकान सजा ली जिसकी लिखित शिकायत जनसुनवाई ग्राम पंचायत में करने के बावजूद जिम्मेदारों के द्वारा अवैध कब्जाधारी पर किसी भी प्रकार की कार्यवाई नहीं हो सकी है!तो क्या जिला कलेक्टर के निर्देश पर शुरू की गई ग्राम पंचायतों में जनसुनवाई ग्रामीणों के लिये महज झुनझुना पकड़ाने जैसा है ?
गौरतलब हो कि क़स्बा के स्थानीय लोग लम्बे समय से नदी में घाट निर्माण की मांग नदी में निस्तार करने में अव्यवस्था एवं गणेश प्रतिमा विसर्जन के साथ दुर्गा प्रतिमा विसर्जन में श्रद्धांलुओं को काफ़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता था जिसके मद्देनज़र विधायक निधि की राशि से घाट निर्माण कार्य एवं 5 वें वित्त की राशि से पक्के नाले का निर्माण आमजन की सहूलियत के लिये किया गया था पर निर्माण के बाद ही रसूखदार ने उक्त जगह पर अतिक्रमण करते हुए टीन सैड से ठेला तैयार करते हुए खिड़की, दरवाजा, लोहे सरिया की लाखों की दुकान सजा ली और वहीं पंचायत के जिम्मेदार नुमाइंदे मौन धारण किये अतिक्रमण की खुली छूट देते रहे!ताजुब करने वाली बात यह है!कि अवैध अतिक्रमण की लिखित शिकायत जनसुनवाई ग्राम पंचायत में किये महत्वपूर्ण 5 महीने का वक़्त बीत गया पर अवैध अतिक्रमण पर पंचायत द्वारा कार्यवाई सिफर ही रही!शिकायत के संबंध में पंचायत के जिम्मेदारों का रटा राटाया जवाब होता है कि हमने कार्यवाई के लिये प्रस्ताव एस, डी, एम, कार्यालय पंहुचा दिया है!यहां अव्वल सवाल यह है कि क्या सक्षम अधिकारी भी अवैध अतिक्रमण हटाने के प्रति उदासीन हैं?
